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कम्प्यूटर से बहू का चुनाव लेखनी प्रतियोगिता -21-Jul-2022

                आदेय अपनी माँ शालिनी से मि लाने अमायरा को लाया था। उसने  अमायरा को माँ के पैर छूने का इशारा किया और अमायरा ने माँ के पैर छूये।


     आदि की माँ ने उसको पूछा," आदि यह कौन है ? मुझसे  क्यौ मिलवा रहा है ?"

       आदि बोला,"माँ यह अमायरा है  मैने इससे शादी करने का फैसला किया है ।"

     " क्या?  यह तू क्या कहरहा है ? तूने इतने बडे़ फैसले कबसे लेना शुरू कर दिया। क्या तू जानता है शादी क्या होती है। शादी कोई खिलौना नही है खेले तब तक खेले और मन भर गया तो फैक दिया। " शालिनी अपने बेटे से बोली।

                  " हाँ  माँ मै जानता हूँ शादी क्या होती है यह सब मैने आपसे ही सीखा है। आपका ही बेटा हूँ। आपने इस धर्म का किस तरह पालन किया है और आज भी कितने अच्छे से इसका पालना कर रही हो।" आदि ने जबाब दियाऔर अमायरा को उसके घर छोड़ आया।

   जब वह अमायरा को उसके घर छोड़कर आया  तब उसकी माँ का गुस्सा सातवें आसमान पर था।

     "आदि तू अब इतना बडा़ होगया कि जो फैसले बडौ़ को लेने चाहिए वह फैसले तू लेने लगा। तुझे शर्म आनी चाहिए तूने हम दोनौ से एक बार पूछने की जरूरत भी नहीं समझी। " शालिनी ने  आदि से पूछा।

    आदि को तो आज बोलने का मौका मिलगया था।वह इस तरह के मौके मे था। 

    आदि ने अपनी माँ को पूछा " आज आप मुझे सिखा रही हो कि मुझै बडौ़ से क्यौ नही पूछा। माँ मुझे अपना बचपन आज भी याद हैजब मुझे आपके दर्शन चार चार दिन तक नहीं होते थे। और पिता श्री की बात ही निराली थी वह रात को बारह बजे आते थे और मै उनसे मिलने के लिए तरसता था।

        और आप अपनी किट्टी पार्टी में मसगूल रहती थी आपको सारेदिन मीटिंगौ से बेटे को देखने की फुर्सत ही नही होती थी। मै केवल नौकरौ  पर आश्रित था  आप दोंनौ के प्यार के लिए तरसता था परन्तु आपने मुझे एक मोबाइल पकडा़ दिया था।  

      यह मौबाइल ही मुझे रात को लौरी सुनाता था जब स्कूल से होमवर्क मिलता वह भी मुझे इस मौबाइल से ही करना पड़ता था। आपने एक ट्यूटर भी रखा था। वह तो आपका भी गुरू निकला उसको केवल महीने के अंत में मिलने वाले पैसे की भू़ख थी। वह भी मुझे मौबाइल ही देता और स्वयं अपने काम में ब्यस्त हो जाता था।

    और मेरी प्यारी माता श्री  इसके बाद आपने एक कम्प्यूटर और लाकर दे दिया  अब मेरा जीवन केवल इन आधुनिक डिब्बौ के बीच में फसकर ममता के लिए तरसता रहा। पिताश्री पैसे की भूख पूरी करने में लगे रहे। और आप अपनी इमेज बनाने में लगी रही क्या आप ने कभी  बेटे को  ममता देने की कोशिश की थी । मैने उसी कम्प्यूटर और इन्टरनैट से आपके लिए बहू का चुनाव कर लिया अब आपको इसे स्वीकार करने के अलावा और कोई रास्ता नही बचा है ।"

      आज  शालिनी के पास आदि के तर्कौ का कोई जबाब नहीं था। उसको अपनी कमियौ पर शर्म आरही थी अब उसके पास बेटे की बात मानने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था।

     इसलिए शालिनी ने आदि को अमायरा से शादी करने की अनुमति प्रदान करदी ।

    इस प्रकार आदि और अमायरा की शादी होगयी और वह इस परिवार की बहू बनकर आगयी।

 दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
21/07/२०२२

       







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10 Comments

Kusam Sharma

22-Jul-2022 04:42 PM

Nice

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Abhinav ji

22-Jul-2022 07:27 AM

Very nice

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Reyaan

22-Jul-2022 12:08 AM

बहुत खूब

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